इसमें मेरा क्या कसूर की मै एक लड़की हूं, क्यों देखते हो मुझे हूं हब्सी निगाहों से, जब कोई देखे मुझे यूं बड़ी - बड़ी आंखों से, सहम जाती हूं मै बाहर निकलने के नाम से भी, दर लगता है, मै जा तो रही हूं बाहर, भेड़िए घूमते खुले आम सड़कों पर, नोच ना खाए उनमें से कोई,हमेशा डर रहता है क्यों रखते हो चाह एक लड़की की , जब दूसरी को बस खिलौना समझते, अरे हक है हमें सर उठा कर जीने का, नहीं किया भेद ऊपर वाले ने लड़की और लड़के में , तो तुम कौन होते हो हमें अबला कहने वाले, स्वयं शिव ने दी अपनी आधी सकती हमें , शिव भी नहीं कुछ बिना देवी शिवा के, खुद स्वीकार किया ये शिव ने, फिर क्यों हमें तुम डराते हो, क्यों बना दी तुमने ऐसी सोच, लड़की होना ही अपने में एक शाप है। गर मिट जाए बजुद हमारा, तो तुम पहले मिट जाओगे, नहीं दूसरा यहां कोई जो दे सके जन्म संतान को जीना है हमें,हमें भी जीने दो, हम नहीं बोझ किसी पर, खुद सक्षम है अपना जीवन चलाने को, दो हमें समाज में बही सम्मान, जिसके हम हकदार है, हम बोझ नहीं इस धरती पर, उस ईश्वर का वरदान है। #womensdag #poem #poetry #lovely #truth #girlslife #mylines