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विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्

विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं। नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥

 भावार्थ :

विघ्नेश्वर, वर देनेवाले, देवताओं को प्रिय, लम्बोदर, कलाओंसे परिपूर्ण, जगत् का हित करनेवाले, गजके समान मुखवाले और वेद तथा यज्ञ से विभूषित पार्वतीपुत्र को नमस्कार है ; हे गणनाथ ! आपको नमस्कार है ।

©Brij Bihari Shukla #GaneshChaturthi #gajananmaharaj #Hindu #Festival #bharat
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं। नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥

 भावार्थ :

विघ्नेश्वर, वर देनेवाले, देवताओं को प्रिय, लम्बोदर, कलाओंसे परिपूर्ण, जगत् का हित करनेवाले, गजके समान मुखवाले और वेद तथा यज्ञ से विभूषित पार्वतीपुत्र को नमस्कार है ; हे गणनाथ ! आपको नमस्कार है ।

©Brij Bihari Shukla #GaneshChaturthi #gajananmaharaj #Hindu #Festival #bharat