पहले तुम उसे प्यार दो,दुलार दो, थोड़ा तो अपने दिल में स्थान दो! यह तुम्हारी बहू है! उसके लिए यह घर नया है,पराया है, फिर भी वो अपना समझकर, सब कुछ छोड़कर खुशी-खुशी आई है! क्यों उसके नरम दिल को नोंचती हो? दहेज़ के लिए टोकती हो? कुछ कमी रह जाने पर दबोचती हो? ये जो नाज़ुक समय होता है शुरुआती तभी तो बीज बोने का समय है, अपने प्यार का! फिर देखो, कैसे लहलहाता है यह पौधा, और आने वाले बरसों में फल-फूल देगा आदर-सम्मान का! सोचो!सोचो! आज आप जवान हैं!सास हैं! ....दंभी मत बनो! ©अंजलि जैन ।।यह तुम्हारी बहू है।।२०.११.२०।।भाग 2