तेरी वितस्ति पर रख दूँ प्रीत का संसार ले उतरूँ गीत के कुछ बोल वाणी श्री का सार बहे जब मधु मकरंद सौरभ निनाद सा छंद झरुँ प्रपात प्रणय प्रकाश कविता सदृश स्वच्छन्द बहूँ बन सदय हृदय अनुराग नयनानुगत आनन्द कुसुमे वसुधा का हास परस सुधारस अनय अनंग पुरवा भर अंचल में कुसुमासन चढ़ू प्रजापत बन तेरे कपोल पर चुपके से मल दूँ वो कोमल रंग तेरे हिय का कस्तूर लिए डोलूँ बयार के संग जग मुट्ठी में बाँधे निधियाँ नभ में बीजें हम-तुम धानी अम्बर रसरूप धरा केशर किसलय हम-तुम #toyou#theblissoflife