कहां से लाओगे साथी हमारे जैसा.. जो तेरे रातों को बेवजह नींद में बातों करने में भी मुस्कुराए.. कहां से लाओगे आशिक़ हमारे जैसा .. जो तेरे ख्वाबों के डरावनी बातों ..को तुझे सीने से लगा के भगाए.. कहां से लाओगे दोस्त हम जैसा.. जो तेरे खुशी के लिए हर पागलपन में हस्ते हस्ते साथ तेरा निभाए.. कहां से लाओगे ज़ालिम हमारे जैसा.. जो तेरे ही जैसा तेरे कुछ बातों पे बेमतलब तुझपे गुस्सा दिखाए.. कहां से लाओगे इश्क़ हमारे जैसा.. जो तेरे इक छोटी सी आह पर अपने हाथों से तुझे खिलाए.. कहां से लाओगे इंसान हमारे जैसा.. जो तेरी खुशियों का वादा निभाने को खुद कर्ज में डूब जाए कहां से लाओगे हमसफ़र हमारे जैसा.. जो बस तेरे ही लिए ... तेरे हर किसी के पांव में गिर जाए.. कहां से ...खैर जाने दो.. ऐसा पैदा ही हुआ कहां ..जो हम जैसा ज़िंदादिल बन पाए.. कहां से