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सावन का महीना था; मौसम बड़ा सुहाना था; गई थी तुम्ह

सावन का महीना था;
मौसम बड़ा सुहाना था;
गई थी तुम्हारे मुहल्ले में बार_ए_अलम लिए..
रोशनी थी, तन्हाई थी, नेत्रों में अश्क भी थे...
ये जुल्मत भरी शब_ए_गम ; 
हम्म्म! रात्रि के तक़रीबन १२ के आस_पास...
वही, जानी_पहचानी सी गलियों में घूमती फिरी
 हमेशा की तरह..
किसी ने नहीं पहचाना मुझे
बस, गलियों के कुत्ते ने पहचान लिया,
व मुझे मेरे घर छोड़ आया।
और सख़्त हिदायत दी कि 
दुबारा मत आना, 
जिस जी़स्त की ख़ोज में हो..
अब वो यहां नहीं रहती।।
ढूंढो खुद के अंदर शायद वो वहीं मिल जाए।
कब तक यूं घूमते फिरोगी, पहचानो ख़ुद को।।

                    ~Meri lekhni

©Beauty Kumari #हिन्दीकविता #thoughts
#vichar #qutoes #poem
#gujal 
#evening
सावन का महीना था;
मौसम बड़ा सुहाना था;
गई थी तुम्हारे मुहल्ले में बार_ए_अलम लिए..
रोशनी थी, तन्हाई थी, नेत्रों में अश्क भी थे...
ये जुल्मत भरी शब_ए_गम ; 
हम्म्म! रात्रि के तक़रीबन १२ के आस_पास...
वही, जानी_पहचानी सी गलियों में घूमती फिरी
 हमेशा की तरह..
किसी ने नहीं पहचाना मुझे
बस, गलियों के कुत्ते ने पहचान लिया,
व मुझे मेरे घर छोड़ आया।
और सख़्त हिदायत दी कि 
दुबारा मत आना, 
जिस जी़स्त की ख़ोज में हो..
अब वो यहां नहीं रहती।।
ढूंढो खुद के अंदर शायद वो वहीं मिल जाए।
कब तक यूं घूमते फिरोगी, पहचानो ख़ुद को।।

                    ~Meri lekhni

©Beauty Kumari #हिन्दीकविता #thoughts
#vichar #qutoes #poem
#gujal 
#evening