धोखा दिया है ज़िन्दगी ने हर मोड़ पर मुझे किस्मत ने भी हराया तुमसे छीन कर मुझे जब ज़िन्दगी से दूर थे तो तुमसे आ मिले तुमसे हुए करीब तो फिर दूर क्यूँ हुए होना ही था जो दूर तो फिर क्यूँ मिले मुझे इस ज़िन्दगी से मुझको कोई उम्मीद थी नहीं और ना ही मैंने इससे कभी चाही कोई ख़ुशी ग़म से नहीं दुखी था तो क्यूँ दी ख़ुशी मुझे इतना बता दे और मुझे कितना लूटेगी ऐ ज़िन्दगी जमाने में क्या बस मुझसे रूठेगी ग़म की ही हो सही मगर मंज़िल तो दे मुझे 16.02.1995 #पुरानी_डायरी #yqbaba #yqdidi