कुछ भी ना होती बात, जो चुभे, फिर भी वो बताते, हर शब्द, भाव तोलके... खलबली सी मच जाये, जब, कभी वो मौन हो जाते, बोलते बोलते... किसी बात से बोझिल, गुस्सा हो मन!, स्वाहा! हो जाए, उनके आंख भर मिलाते.... किस्से की तरह याद, उनकी सारी सीखें!, स्मृति में उभर, हर समस्या सुलझा जाते.... बुझती रही है सदा से आग! जीवन जलाकर, वो, राख से नया, जीवन हैं सजाते.... नमन! उस मार्गदर्शक! आत्मन! का, दर्शक दीर्घा से चुनते, युगपुरुष बनाते... 🙏💐💐💐💐🙏 ©Tara Chandra #सदगुरु