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निकलते हुए मैखाने से, ये बात समझ आई है साकी की आ

निकलते हुए मैखाने से, ये बात समझ आई है 
 साकी की आँख से अच्छा कोई पैमाना नहीं था 
 शमा ज़िन्दगी की, पिघलते पिघलते ये कह रही है 
  सिर्फ तू दीवाना था मेरा,और कोई परवाना नहीं था  ------- शमा ज़िन्दगी की,
निकलते हुए मैखाने से, ये बात समझ आई है 
 साकी की आँख से अच्छा कोई पैमाना नहीं था 
 शमा ज़िन्दगी की, पिघलते पिघलते ये कह रही है 
  सिर्फ तू दीवाना था मेरा,और कोई परवाना नहीं था  ------- शमा ज़िन्दगी की,

शमा ज़िन्दगी की,