'राजस्थानी कहावतें' खर घुघू मूरख नरां सदा सुखी प्रथिराज। अज़गर करे न चाकरी पंछी करे न काज। छोटी-मोटी कामणी सगळी विष की बेल ! जो मन होय उतावलौ तो बिगड़ें ही काज। अग्गम बुद्धि बाणियो पच्छम बुद्धि जाट! तुर्क बुद्धि तुरकड़ो , बामण संपट-पाट । खेती करे न बिणजी जाय, विद्या के बल बैठो खाय। सेल घमोडा जो सहै - सो जागीरी खाय । राजस्थानी कहावतें' खर घुघू मूरख नरां सदा सुखी प्रथिराज। अज़गर करे न चाकरी पंछी करे न काज। छोटी-मोटी कामणी सगळी विष की बेल ! जो मन होय उतावलौ तो बिगड़ें ही काज।