मोको कहाँ ढूंढ़े बन्दे मैं तो तेरे पास में॥ ना तीरथ में ना मूरत में, ना एकान्त निवास में। ना मंदिर में ना मस्जिद में, ना काशी कैलाश में॥ मोको कहाँ ढूंढ़े बन्दे मैं तो तेरे पास में॥ ना मैं जप मे ना मैं तप में, ना मैं व्रत उपवास में। ना मैं क्रियाकर्म में रहता, ना ही योग सन्यास ॥ मोको कहाँ ढूंढ़े बन्दे मैं तो तेरे पास में॥ नहिं प्राण में नहिं पिण्ड में, ना ब्रह्मांड आकाश में। ना मैं भृकुटी भंवर गुफा में, सब श्वासन की श्वास में॥ मोको कहाँ ढूंढ़े बन्दे मैं तो तेरे पास में॥ खोजि होय तो तुरंत मिलिहौं, पल भर की तलाश में। कहैं कबीर सुनो भाई साधो, मैं तो हूं विश्वास में॥ मोको कहाँ ढूंढ़े बन्दे मैं तो तेरे पास में॥ - कबीर ©Priya dubey #kabirdohe