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"हे मधुसूदन! विरक्ति क्या है?" "पार्थ! जब आखिर के

"हे मधुसूदन! विरक्ति क्या है?"

"पार्थ! जब आखिर के तीन घूंट चाय बची हो और उस चाय में डुबोया हुआ बिस्कुट जिव्हा तक आने की जगह चाय में ही डूब जाए तो उस चाय के प्रति जो भाव उत्पन्न होता है, उसे ही विरक्ति कहते हैं." 
#shukla_आशीष #shukla
#चाय_लवर
"हे मधुसूदन! विरक्ति क्या है?"

"पार्थ! जब आखिर के तीन घूंट चाय बची हो और उस चाय में डुबोया हुआ बिस्कुट जिव्हा तक आने की जगह चाय में ही डूब जाए तो उस चाय के प्रति जो भाव उत्पन्न होता है, उसे ही विरक्ति कहते हैं." 
#shukla_आशीष #shukla
#चाय_लवर