देखत ही मुसकाय उठै नैनन सों मोय बुलाय उठै मैं ना ध्यान दऊँ बापै हालही तो बिल्खाय उठै। बिन भाषा के ही बैन करै लाख तरह के सैन करै जाने का गावै वो जानें रोवै तो अञ्जन रैन करे। जब गोद उठाऊँ मैं वाकूं हर्षित हो जावै वो छोरी आनन पे हाथ रखे मेरे वात्सल्य लुटावै वह भोरी अनुराग बालपन कौ देख्यो पुलकित होवें वैरागी अशक्ति बढ़े सन्याशी में तुलकित होते मेहराती। ईश्वर का रूप रहै टिंगर घर में खिलते फूल भळै। सुख सागर से आँगन दुःख दूर खड़ा हो हाथ मलै। #काव्यमिलन_5 #kkकाव्यमिलन #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़काव्यमिलन #पाठकपुराण #कोराकाग़ज़