“मेरे द्वारा भेजे गए सारे गुलाब वो कहां रखती है मैं दिल से भेजता हूं क्या वो दिल में रखती है उसकी आदत है वो आईना देर तक देखती है मैं होता हूं सामने तो नज़र झुका के देखती है कुछ पूछों तो वो साफ़ मुकर जाती है किसी और से ताल्लुक रखूं तो हद से गुजर जाती है उसके बालों में फसें झुमके जैसा हूं घंटों इंतजार के बाद उंगलियां बालों को सहलाती है तो गर्दन चूम लेता हूं” 📌 ©SAURAV SACHAN My poetry 🤟 #Wedding