हवाओं में तपिश हैं फ़लक पर कोई हलचल नहीं, वीरान पड़ा है रेगिस्ताँ की तरह पंछी भी गुजरता है तो कहराता हुआ आफ़ताब की चिलमिलाती किरणें ऐसी लगती है,जैसे आसमां से अंगारे बरस रहे हो ये किरणें इतनी तपिश पैदा करती हैं लहू उबाल देती है, दो पग जमीं पर चल जाने से तो उस मजबूर की क्या हालत होगी जो हजारों पग नंगे चलता है अपनी जिम्मेदारियों को ओढ़ कर उन पर इन शजरों के सिवा किसी की रहमत ही नहीं रही शायद,इंसा को इंसा की परवाह ही नहीं रही कोई भी पंछी नजर आता है तो पानी की एक-एक कतरे को तरसता हुआ, तड़पता हुआ नजर आता है आस भी टिकी रहती है इनकी इंसानों पर, लेकिन, ये इंसा कहा अपनी जिम्मेदारीयों को समझ पाता है सबके जीवन रक्षक ये शज़र भी प्यास से बुझ रहे है तपती सनसनाती हवायें इन्हें रोज बुझा रही है पर इंसा को परवाह ही नहीं कहते तो है बड़े ईमान से "जल ही जीवन है" पर जल के एक भी कतरे की इन्हें परवाह ही नहीं जरुरतें सब अपनी पूरी करते है यहां किसी को किसी की परवाह नहीं। Geetanjali #waiting #Poetry #hindipoerty #Nojoto #nojotohindi #Birds #Summer #feelings #India #rajasthan