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जब कभी थक हार मैं पूछता हुँ " तुझसे " क्या साथ चलग

जब कभी थक हार मैं पूछता हुँ " तुझसे " क्या साथ चलगी ? , हाथों मे हाथ डाल, कदमों के साथ , रूकती - चलती सी जिंदगी के साथ |

तु  मुरस्काती हुई , केह जाती है, हा! हर  बार |
 तेरे इस हाँ से कितना संभल जाता हुँ मैं, फिर नई उमीद कर बहल सा जाता हु मै |
मुझे नहीं पता तु कितना सच्च केह रही हैं? , लेकिन तेरे इतना केह जाने से ही बदल सा जाता हु मैं|

©Shailesh Singh
  #tu_jane_na
shaileshsingh1417

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#tu_jane_na #लव

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