Nojoto: Largest Storytelling Platform

जब से गए हो तुम हमारी गली से। मोहल्ले मे रौनक कुछ

 जब से गए हो तुम हमारी गली से।
मोहल्ले मे रौनक कुछ कम सी लगती है।
त्योहारो की खुशिया भी गम सी लगती है।।
गर्म हवाओ मे खोई कोई आशा सी होती है।
छज्जे पर आकर मुझे निराशा सी होती है।।
अब तुम सुबह छत पर बाल जो नही सिखाती।
इन शामो मे वो पहले जैसी बात नही आती।।
अब मै भी मंदिर जाना छोड़ चुका हूं तब से।
 जब से गए हो तुम हमारी गली से।
मोहल्ले मे रौनक कुछ कम सी लगती है।
त्योहारो की खुशिया भी गम सी लगती है।।
गर्म हवाओ मे खोई कोई आशा सी होती है।
छज्जे पर आकर मुझे निराशा सी होती है।।
अब तुम सुबह छत पर बाल जो नही सिखाती।
इन शामो मे वो पहले जैसी बात नही आती।।
अब मै भी मंदिर जाना छोड़ चुका हूं तब से।
bydreampost5722

Bydreampost

New Creator