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सफर-ए इज़हार का कुछ ऐसे शुरू हुआ आंखों में नशा,समा

सफर-ए इज़हार का कुछ ऐसे शुरू हुआ
आंखों में नशा,समां था धुआं-धुआं

लबों पर कपकपाहट
मन बेकाबू सा हुआ

धड़कने थी तेज
हृदय भी अचल सा रहा

स्पर्श करने से तेरे
ठहरेपन में कुछ चल सा गया

सर्द हवाओं में गर्म आहो में
इज़हार-ए मुकम्मल हो ही गया।।

©Akanksha Nandan
  #इज़हार