त्योहार अब पहले जैसे नही लगते है क्योंकि लोग अपने काम मेंऔर पैसे कमाने में इतने व्यस्त हैं कि त्यौहारों को त्योहारों की तरह नही मनाते हैं। बस वे इन त्योहारों को एक कार्य या फिर अपना कर्तव्य की तरह मनाते हैं। वे त्योहार में खुश होने के साथ साथ एक तरह के तनाव में रहते हैं। त्योहारों में भी अपने ऑफिस या फिर वे जो कार्य करते हैं।उनके बारे में सोचते है। यहाँ तक कि वे त्योहार में भी कार्य करते रहते हैं। परन्तु अब भी बच्चों मे कुछ हद त्योहारों को मनाने की ललक हैं। वे महीनों पहले से त्यौहारों की इंतजार करने लगते है। मैं भी करता हूँ। वे त्योहारों को आनन्द पूर्वक मनाते हैं।