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अजब सी है ये जलन जो रूह को जलाती हैं, पता नही ये

अजब सी है ये जलन जो रूह को जलाती हैं, 
पता नही ये कैसी आग तूने लगाई, 
जिस्म और जान तो सलामत है दोस्त, 
फिर भी दुनिया की कोई ताक़त
सिवा तेरे इस आग को न बुझा पाती हैं।

पिघल रहा है जिस्म, दुनिया समझ नही पाती
न जीने की ख्वाहिश हैं, न मरने का कोई गम, 
कब तक खुश रहने का नाटक करूँ दोस्त, 
अब ये झूठी मुस्कान भी बड़ी मुश्किल से आती हैं। 

मैं जानता हूँ कि मुझसे ज्यादा तकलीफ मे तुम हो,
फिर भी खुश रहने का दिखावा करती हो, 
बस यही सोच के बार बार मुझे हिम्मत मिलती है। 
सलाम तुम्हारी इस हिम्मत को,
जिसने मुझे अब तक जिंदा रखा हैं 
वरना मै तो कब का बे मौत मर गया होता। 

सुना था वक़्त हर ज़ख़्म को भर देता है,
और मै भी इसे सच मानता था लेकिन
पता नहीं ये कैसा ज़ख़्म है, 
जो वक़्त के साथ बढ़ता ही जा रहा हैं। 

अब तो सिर्फ दिल मे एहसास देने वाले
उस खुदा पर ही आखिरी भरोशा है
वो चाहे तो इस दर्द की दवा दे दे 
या फिर इसे खत्म कर दे।



 Personal diary
अजब सी है ये जलन जो रूह को जलाती हैं, 
पता नही ये कैसी आग तूने लगाई, 
जिस्म और जान तो सलामत है दोस्त, 
फिर भी दुनिया की कोई ताक़त
सिवा तेरे इस आग को न बुझा पाती हैं।

पिघल रहा है जिस्म, दुनिया समझ नही पाती
न जीने की ख्वाहिश हैं, न मरने का कोई गम, 
कब तक खुश रहने का नाटक करूँ दोस्त, 
अब ये झूठी मुस्कान भी बड़ी मुश्किल से आती हैं। 

मैं जानता हूँ कि मुझसे ज्यादा तकलीफ मे तुम हो,
फिर भी खुश रहने का दिखावा करती हो, 
बस यही सोच के बार बार मुझे हिम्मत मिलती है। 
सलाम तुम्हारी इस हिम्मत को,
जिसने मुझे अब तक जिंदा रखा हैं 
वरना मै तो कब का बे मौत मर गया होता। 

सुना था वक़्त हर ज़ख़्म को भर देता है,
और मै भी इसे सच मानता था लेकिन
पता नहीं ये कैसा ज़ख़्म है, 
जो वक़्त के साथ बढ़ता ही जा रहा हैं। 

अब तो सिर्फ दिल मे एहसास देने वाले
उस खुदा पर ही आखिरी भरोशा है
वो चाहे तो इस दर्द की दवा दे दे 
या फिर इसे खत्म कर दे।



 Personal diary