अब तो बस टूटने को हु ये मंजर अब नहीं सम्भलता चिराग घिस -घिस कर राख हो गया किस्मत का जिन्न फिर भी नहीं निकलता पता नहीं क्यों किस्मत रूठी हुई है हमसे पता नहीं क्यों हमें देखकर इसका दिल नहीं पिंघलता अब तो बस टूटने को हु ये मंजर अब नहीं सम्भलता। ©गौतम शर्मा #my luck