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White खिड़कियाँ झांकती रहती है, मैं बेखबर हूँ। समा

White खिड़कियाँ झांकती रहती है, मैं बेखबर हूँ।
समा रंग रहा है रंगीन रंगो में, मैं बेअसर हूँ।
तपता रहता हूँ ख़ुद की ही गरम आँच में
मेरी ज़िंदगी की रातों का, मैं ही दोपहर हूँ।।

©Rohit Bhargava (Monty) #Sad_Status  hindi shayari shayari in hindi Extraterrestrial life sad shayari shayari sad
White खिड़कियाँ झांकती रहती है, मैं बेखबर हूँ।
समा रंग रहा है रंगीन रंगो में, मैं बेअसर हूँ।
तपता रहता हूँ ख़ुद की ही गरम आँच में
मेरी ज़िंदगी की रातों का, मैं ही दोपहर हूँ।।

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