" माँ " वृद्धाश्रम के चार दीवाल के बीच में बैठी है , जीवन की किताब का हर एक पन्ना खोल रही है, एक पन्ने पे अपने बेटे की सुनहरी सुबह आयी है, उसी सुबह की वजह से जीवन में काली घटा छाई है, जब मौत आकर गले लगाती है, उसकी एक ख्वाइश पूछी जाती है, कहती है चार दीवारों में बेचैनी है, पंखा भी नहीं है और क्या ये ज़िन्दगी है, होसके तो एक पंखा लगा देना, मेरे बेटे के साथ ऎसा ना होने देना । -kabeer #वृद्धाश्रम