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जब रास्ते हो साफ़ तो बैठ कर मंजिल का इंतजार क्या क

जब रास्ते हो साफ़ तो बैठ कर मंजिल का इंतजार क्या करना |
जब समन्दर में मिलना ही है तो दरिया बनकर भी क्या रहना |
जब मोहब्बत करना ही है तो शरीफ बनकर भी क्या करना |
जिंदगी एक गुनाह  है तो फिर गुनाह करने से क्या डरना | # गुनाह करने से क्या डरना |
जब रास्ते हो साफ़ तो बैठ कर मंजिल का इंतजार क्या करना |
जब समन्दर में मिलना ही है तो दरिया बनकर भी क्या रहना |
जब मोहब्बत करना ही है तो शरीफ बनकर भी क्या करना |
जिंदगी एक गुनाह  है तो फिर गुनाह करने से क्या डरना | # गुनाह करने से क्या डरना |