सारे बेघरों को जब घर मिल जाएँ। तो कहें कि आओ नया जहाँ बसाएँ।। नदियाँ साफ सूखे जंगल जब हरे हो जाएँ। तो कहें कि आओ नया जहाँ बसाएँ।। पहाड़ों पर इंसानी दखलन्दज़ियाँ हट जाएँ। तब कहना कि आओ नया जहाँ बसाएँ।। बेगुनाहोंके सर से संगीनों के साये हट जाएँ। तो कहें कि आओ नया जहाँ बसाएँ।। हर मुल्क से जब दहशतगर्द ख़त्म हो जाएँ। तब कहें कि हाँ आओ नया जहाँ बसाएँ।। अपने ही अपनों का जहाँ खून बहाएँ। तो बताओ वहाँ कैसे नया जहाँ बसाएँ।। एक मुल्क में यौम ए आज़ादी का जश्न हो रहा वहीँ पड़ोसी मुल्क दहशतगर्दी का ग़ुलाम हो रहा।। देश छोड़े जब वजीर और आला मुमालिक। यतीम और लाचार अवाम बताओ कहाँ जाएँ।। पड़ोसी देश अब इंसानियत दिखाएँ तो कहें आओ नया जहाँ बसाएँ।। आज वहाँ कल यहाँ तक पैर पसारने की होगी कोशिश दरिंदगी और दहशतगर्दी के ख़िलाफ़ एकजुट हो जाएँ।। सब तो कहें कि हाँ अब होगी दुनिया नई नया जहाँ बसाएँ।। नदियाँ साफ सूखे जंगल जब हरे हो जाएँ। तो कहें कि आओ नया जहाँ बसाएँ।। पहाड़ों पर इंसानी दखलन्दज़ियाँ हट जाएँ। तब कहना कि आओ नया जहाँ बसाएँ।। बेगुनाहों के सर से संगीनों के साये हट जाएँ। तो कहें कि आओ नया जहाँ बसाएँ।।