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होठों से ज्यादा आंखों में छुपे रहते हैं, दिल की गह

होठों से ज्यादा आंखों में छुपे रहते हैं,
दिल की गहराइयों में देखो, 
यह जुबां पर न आते हैं।
मशहूर हैं, मगरूर हैं,
केबल शब्द नहीं
यह एहसास-ए-लफ्ज़ हैं।
तनहाइयों में फ़ारिग़ होते हैं
ऐसे भरी महफ़िल में वे रूसवा न होते हैं।।

©BINOदिनी #alone
होठों से ज्यादा आंखों में छुपे रहते हैं,
दिल की गहराइयों में देखो, 
यह जुबां पर न आते हैं।
मशहूर हैं, मगरूर हैं,
केबल शब्द नहीं
यह एहसास-ए-लफ्ज़ हैं।
तनहाइयों में फ़ारिग़ होते हैं
ऐसे भरी महफ़िल में वे रूसवा न होते हैं।।

©BINOदिनी #alone