होठों से ज्यादा आंखों में छुपे रहते हैं, दिल की गहराइयों में देखो, यह जुबां पर न आते हैं। मशहूर हैं, मगरूर हैं, केबल शब्द नहीं यह एहसास-ए-लफ्ज़ हैं। तनहाइयों में फ़ारिग़ होते हैं ऐसे भरी महफ़िल में वे रूसवा न होते हैं।। ©BINOदिनी #alone