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खबर नहीं तुझको आजकल, मै तन्हा तन्हा हूं, लिखता हूं

खबर नहीं तुझको आजकल,
मै तन्हा तन्हा हूं,
लिखता हूं बस तेरा तराना,
क्या मै इतना अकेला हूं।
खबर नहीं तुझको आजकल,
मै तन्हा तन्हा हूं...
                           तू जान सके मुझको,
                           इसलिए तो लिखता हू,
                             तेरी बातों को, अपने कागज पे, समेटता हूं,
                             सबकुछ तो छाना है, बाकी क्या बचा,
                          इतना तो बता मुझ को.
के तेरे शहर का पता, भूल गया हूं
सब यादो को, पीछे छोड़ गया हूं,
ऐसा मुमकिन है क्या
तुझे भूल जाना,
इतना तो बता मुझको।
खबर नहीं तुझको आजकल,
मै तन्हा तन्हा हूं...
                ~विशाल गायकवाड #खबर_नहीं
खबर नहीं तुझको आजकल,
मै तन्हा तन्हा हूं,
लिखता हूं बस तेरा तराना,
क्या मै इतना अकेला हूं।
खबर नहीं तुझको आजकल,
मै तन्हा तन्हा हूं...
                           तू जान सके मुझको,
                           इसलिए तो लिखता हू,
                             तेरी बातों को, अपने कागज पे, समेटता हूं,
                             सबकुछ तो छाना है, बाकी क्या बचा,
                          इतना तो बता मुझ को.
के तेरे शहर का पता, भूल गया हूं
सब यादो को, पीछे छोड़ गया हूं,
ऐसा मुमकिन है क्या
तुझे भूल जाना,
इतना तो बता मुझको।
खबर नहीं तुझको आजकल,
मै तन्हा तन्हा हूं...
                ~विशाल गायकवाड #खबर_नहीं