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वेदना विरह वेदना से व्याकुल होकर जब मेरा मन अकुल


वेदना

विरह वेदना से व्याकुल होकर जब मेरा मन अकुलाता है।
दिल जार जार कर रोता है और मन तार-तार हो जाता है।

कष्ट में हो जब काया और रह ना गयी हो कोई मोह माया।
ठहर गया हो जैसे जीवन साथ देने को ना रह गया हो साया।

जब सबने हो साथ छोड़ा कोई भी ना रह गया हो सहारा।
जीवन में कैसा मोड़ आया जब सबने ही कर लिया किनारा।

घायल वीणा के सब तार टूट गए सुर को हम कैसे संभाले।
तुम्हारी यादें जो दिल में बसी हैं उनको भला हम कैसे बिसारें।

नैनों में मेरे हरदम तुम्हारे विरह की बदली सी छाई रहती है।
दुनिया अनजानी लगती है और जीवन भी मुरझाने लगता है।

मेरा भाग्य गगन धुंधला हो गया अंतर्मन में भी ना कोई साया।
तुम्हारी विरह वेदना में जलकर मेरी आधी रह गई है काया।

-"Ek Soch"



 #vedna
#sahitya sahayak

वेदना

विरह वेदना से व्याकुल होकर जब मेरा मन अकुलाता है।
दिल जार जार कर रोता है और मन तार-तार हो जाता है।

कष्ट में हो जब काया और रह ना गयी हो कोई मोह माया।
ठहर गया हो जैसे जीवन साथ देने को ना रह गया हो साया।

जब सबने हो साथ छोड़ा कोई भी ना रह गया हो सहारा।
जीवन में कैसा मोड़ आया जब सबने ही कर लिया किनारा।

घायल वीणा के सब तार टूट गए सुर को हम कैसे संभाले।
तुम्हारी यादें जो दिल में बसी हैं उनको भला हम कैसे बिसारें।

नैनों में मेरे हरदम तुम्हारे विरह की बदली सी छाई रहती है।
दुनिया अनजानी लगती है और जीवन भी मुरझाने लगता है।

मेरा भाग्य गगन धुंधला हो गया अंतर्मन में भी ना कोई साया।
तुम्हारी विरह वेदना में जलकर मेरी आधी रह गई है काया।

-"Ek Soch"



 #vedna
#sahitya sahayak