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।।कोरोना योद्धाओं को समर्पित कविता।। एक ओर जहाँ सज

।।कोरोना योद्धाओं को समर्पित कविता।।
एक ओर जहाँ सजग विश्व, कोरोना का मारा है,
चहुँ दिशा में हाहाकार, 
भय चिंतित विश्व ये सारा है।
हर देश शहर में पीड़ित हैं, मृत्यु  शैय्या पर लेटे है,
हम विश्व बचाने के हित में, सब आपनें घरों मे बैठे हैं ।
जहाँ बिना युद्ध के शंखनाद,हो रहे लग गई धारा है,
ना जाने कैसी भूल हुई, भय चिंतित विश्व ये सारा हैं ।
हर ओर नाश की टेर लागी, ना जाने कैसा घाटा है,
हर शहर मे कर्फ्यू  दहशत है, ओर सडकों पर सन्नाटा है।
यह समय बड़ा ही कठिन तेज, सबकी आँखे नम भारी है,
कर सृष्टि से खिलवाड़ स्वंय ने आपनी दशा बनाई है।
ना जाने कैसे अखंड विश्व पर आ बैठी ये महामारी,
हे! हरी, जगत पर दया करो, कुछ महिने हम पर है भारी।
हमे एक दूजे एक सम्बोधन ने संयम खूब बधाया है,
घर मे रहकर ही लड़ना है, हमे विश्व को विजयी बनाना है।
वही दूजी ओर जो महामारी मे, हमे बचाने निकले है,
उनके भी घर परिवार है वो भी, किसी की बेटी बेटे है।
कष्ट विपत्ति कठिन समय में, जिन्होने हाँथ बढ़ाया है,
स्वयं खड़े है कठिन राह और, हमको धीर बधाया है,
ऐसे संकट महामारी मे ,जिसने हमे सम्भाला है,
उन सब वीर सपूतों को नतमस्तक नमन हमारा हैं ।।
....स्वरचित कविता: सोनाली सेन
सोनाली सेन सागर (मध्य प्रदेश)

©SONALI SEN ।।कोरोना योद्धाओं को समर्पित कविता।।
एक ओर जहाँ सजग विश्व, कोरोना का मारा है,
चहुँ दिशा में हाहाकार, 
भय चिंतित विश्व ये सारा है।
हर देश शहर में पीड़ित हैं, मृत्यु  शैय्या पर लेटे है,
हम विश्व बचाने के हित में, सब आपनें घरों मे बैठे हैं ।
जहाँ बिना युद्ध के शंखनाद,हो रहे लग गई धारा है,
ना जाने कैसी भूल हुई, भय चिंतित विश्व ये सारा हैं ।
।।कोरोना योद्धाओं को समर्पित कविता।।
एक ओर जहाँ सजग विश्व, कोरोना का मारा है,
चहुँ दिशा में हाहाकार, 
भय चिंतित विश्व ये सारा है।
हर देश शहर में पीड़ित हैं, मृत्यु  शैय्या पर लेटे है,
हम विश्व बचाने के हित में, सब आपनें घरों मे बैठे हैं ।
जहाँ बिना युद्ध के शंखनाद,हो रहे लग गई धारा है,
ना जाने कैसी भूल हुई, भय चिंतित विश्व ये सारा हैं ।
हर ओर नाश की टेर लागी, ना जाने कैसा घाटा है,
हर शहर मे कर्फ्यू  दहशत है, ओर सडकों पर सन्नाटा है।
यह समय बड़ा ही कठिन तेज, सबकी आँखे नम भारी है,
कर सृष्टि से खिलवाड़ स्वंय ने आपनी दशा बनाई है।
ना जाने कैसे अखंड विश्व पर आ बैठी ये महामारी,
हे! हरी, जगत पर दया करो, कुछ महिने हम पर है भारी।
हमे एक दूजे एक सम्बोधन ने संयम खूब बधाया है,
घर मे रहकर ही लड़ना है, हमे विश्व को विजयी बनाना है।
वही दूजी ओर जो महामारी मे, हमे बचाने निकले है,
उनके भी घर परिवार है वो भी, किसी की बेटी बेटे है।
कष्ट विपत्ति कठिन समय में, जिन्होने हाँथ बढ़ाया है,
स्वयं खड़े है कठिन राह और, हमको धीर बधाया है,
ऐसे संकट महामारी मे ,जिसने हमे सम्भाला है,
उन सब वीर सपूतों को नतमस्तक नमन हमारा हैं ।।
....स्वरचित कविता: सोनाली सेन
सोनाली सेन सागर (मध्य प्रदेश)

©SONALI SEN ।।कोरोना योद्धाओं को समर्पित कविता।।
एक ओर जहाँ सजग विश्व, कोरोना का मारा है,
चहुँ दिशा में हाहाकार, 
भय चिंतित विश्व ये सारा है।
हर देश शहर में पीड़ित हैं, मृत्यु  शैय्या पर लेटे है,
हम विश्व बचाने के हित में, सब आपनें घरों मे बैठे हैं ।
जहाँ बिना युद्ध के शंखनाद,हो रहे लग गई धारा है,
ना जाने कैसी भूल हुई, भय चिंतित विश्व ये सारा हैं ।
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