खुशियाँ कहाँ बिकती है, मुझको भी कोई बता दे। 2-4 हँसी खुशी के पल, हमको भी कोई दिला दे।। गम के अँधियारे गलियारे में,भटक रहे है वर्षों से। इन गलियों में उजियारा लाना कोई मुझे बता दे।। वैसे तो अँधियारे से है अपना नाता पुराना। उजियारे से नाता जोड़ना कोई हमें बता दे।। मैं तन्हा और अकेला घूम करता गलियों में। एक जगह पर स्थिर होना ही कोई बतला दे।। खुशियों का व्यापार अगर हो, जग में बहुत चलेगा। दुनिया भर की दौलत लेकर ,थोड़ी खुशियाँ देगा।। फिर जब खुशियाँ खाली हों,वापस यहीं रहेगा। यही स्वर्ग है यही नरक है , पिसता यहीं रहेगा।। #khusiyan_कहाँ_बिकती_हैं। #ख्याल