मुन्तज़ीर है वक़त कि क़ासिद कोई आए जीने का नहीं, मौत का, पैगाम तो लाए अक़्स आईना हो कर ये जान गया है किसके सगे हैं धूप में गहरे हुए साए जुगनुओं के कारवाँ होते हैं समंदर कोई हो ऐसा जो अंधेरों में निभाए मुन्तज़िर है वक़त कि क़ासिद कोई आए जीना का नहीं, मौत का, पैगाम तो लाए #mera_aks_paraya_tha #मेरा_अक्स_पराया_था #muntazir #मुन्तज़िर #tassavuf