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दंगों की आग में शहर जल रहा था , और नफरतों का ज्वा

दंगों की आग में शहर जल रहा था ,
 और नफरतों का ज्वालामुखी आग उगल रहा था।
 
सियासत  दान चिताओं पर आपनी रोटियां
 सेक रहे थे , और उन्माद का बिगुल बज रहा था।

उन्हें इससे क्या मतलब , किसकी जान गई 
किसका हाथ पैर कटा , किस की दुनिया उजड़ गई।

नन्हीं सी जान बलि चल गई आतताइयो की, आंखों 
के सामने किसी का घर तो किसी का भाग जल रहा था।

©Anuj Ray दंगों की आग में शहर जल रहा था
दंगों की आग में शहर जल रहा था ,
 और नफरतों का ज्वालामुखी आग उगल रहा था।
 
सियासत  दान चिताओं पर आपनी रोटियां
 सेक रहे थे , और उन्माद का बिगुल बज रहा था।

उन्हें इससे क्या मतलब , किसकी जान गई 
किसका हाथ पैर कटा , किस की दुनिया उजड़ गई।

नन्हीं सी जान बलि चल गई आतताइयो की, आंखों 
के सामने किसी का घर तो किसी का भाग जल रहा था।

©Anuj Ray दंगों की आग में शहर जल रहा था
anujray7003

Anuj Ray

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दंगों की आग में शहर जल रहा था #पौराणिककथा