अब सुनु परम बिमल मम बानी। सत्य सुगम निगमादि बखानी।। निज सिद्धांत सुनावउँ तोही। सुनु मन धरु सब तजि भजु मोही।। मम माया संभव संसारा। जीव चराचर बिबिधि प्रकारा।। सब मम प्रिय सब मम उपजाए। सब ते अधिक मनुज मोहि भाए।। -रामचरितमानस #Ram_Navmi #रामचरितमानस