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राख़ हो गए थे सुलगते आंसू, उस रोज मेरे, जिस रोज तु

राख़ हो गए थे सुलगते आंसू, 
उस रोज मेरे, जिस रोज तुझे,
किसी और की बाहों में देखा था हमनें ।
लफ्ज़ दफ़न हो गए, 
लबों के भीतर ही,
हर साँस में कांटा सा चुभता 
महसूस किया था हमनें ।
न भूल पाए तुम्हें हम, 
इतने बरसो में,
तुमसे दिल लगाने की एवज़ में,
ख़ुद को फ़ना किया था हमनें ।
हाँ राख़ हो गए वो सुलगते आँसू मेरे 
जिस रोज़ तुझे पाकर भी 
फिर से खोया था हमने ।।

©Rooh_Lost_Soul #राख़ #PoeteyUnplugged #Nojotohindi #nojotopoetry #Nojoto Internet Jockey Satyaprem Upadhyay Kapil Nayyar vks Siyag Anshu writer  Beena Tanti @hima
राख़ हो गए थे सुलगते आंसू, 
उस रोज मेरे, जिस रोज तुझे,
किसी और की बाहों में देखा था हमनें ।
लफ्ज़ दफ़न हो गए, 
लबों के भीतर ही,
हर साँस में कांटा सा चुभता 
महसूस किया था हमनें ।
न भूल पाए तुम्हें हम, 
इतने बरसो में,
तुमसे दिल लगाने की एवज़ में,
ख़ुद को फ़ना किया था हमनें ।
हाँ राख़ हो गए वो सुलगते आँसू मेरे 
जिस रोज़ तुझे पाकर भी 
फिर से खोया था हमने ।।

©Rooh_Lost_Soul #राख़ #PoeteyUnplugged #Nojotohindi #nojotopoetry #Nojoto Internet Jockey Satyaprem Upadhyay Kapil Nayyar vks Siyag Anshu writer  Beena Tanti @hima