राख़ हो गए थे सुलगते आंसू, उस रोज मेरे, जिस रोज तुझे, किसी और की बाहों में देखा था हमनें । लफ्ज़ दफ़न हो गए, लबों के भीतर ही, हर साँस में कांटा सा चुभता महसूस किया था हमनें । न भूल पाए तुम्हें हम, इतने बरसो में, तुमसे दिल लगाने की एवज़ में, ख़ुद को फ़ना किया था हमनें । हाँ राख़ हो गए वो सुलगते आँसू मेरे जिस रोज़ तुझे पाकर भी फिर से खोया था हमने ।। ©Rooh_Lost_Soul #राख़ #PoeteyUnplugged #Nojotohindi #nojotopoetry #Nojoto @hima