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हर पल रहा मैं बेकरार गिन-गिन घड़ियों की रफ्तार। त

हर पल रहा मैं बेकरार 
गिन-गिन घड़ियों की रफ्तार।
तोड़ बंदिशें रिश्तों की
जोड़ ली यारी जब तेरा साथ।।
एक तू जाने या मैं जानूं
जो थी बातें दिल के पास।
हर ओर इशारा करके भी
जोड़ ना पाए जो रिश्ते थे खास।।
इन्तजार है अब भी मुझको
लौट आए जो दिन थे साथ।
बदल सकूं शायद मैं उस पल को
विश्वास की डोर थाम रखा है अपने हाथ।। 🌝प्रतियोगिता- 183🌝

 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌹"इंतज़ार की घड़ियाँ"🌹

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
हर पल रहा मैं बेकरार 
गिन-गिन घड़ियों की रफ्तार।
तोड़ बंदिशें रिश्तों की
जोड़ ली यारी जब तेरा साथ।।
एक तू जाने या मैं जानूं
जो थी बातें दिल के पास।
हर ओर इशारा करके भी
जोड़ ना पाए जो रिश्ते थे खास।।
इन्तजार है अब भी मुझको
लौट आए जो दिन थे साथ।
बदल सकूं शायद मैं उस पल को
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nirajkumar5911

Niraj Kumar

New Creator

🌝प्रतियोगिता- 183🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌹"इंतज़ार की घड़ियाँ"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #क़लम_ए_हयात #yqurduhindipoetry #इंतज़ारकीघड़ियाँ_Qeh