बेकरारी सी बेकरारी है, वस्ल है, और फ़िराक़ तारी है... जो ग़ुज़ारी न जा सके हमसे, हमने वो ज़िंदगी गुज़ारी है... हम निघरे क्या हुए, के लोगों पर अपना साया भी अब तो भारी है... बिन तुम्हारे कभी नहीं आयी, क्या मेरी नींद भी तुम्हारी है...? ~Jon Elia वस्ल - मिलन फ़िराक़ - बिछडन तारी - जारी , continue निघरे - घर छोड़ा हुआ आदमी #जॉनएलिया #shayari #ghazal #jonelia #hindipoetry #urdupoetry #yqbaba #yqdidi