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ये जहाँ लगता दूर से , ये जहाँ ; कितना प

ये जहाँ

लगता   दूर   से ,  ये   जहाँ  ; कितना   प्यारा  है

कितना  खूबसूरत  कितना खुशनुमा ये नजारा है

हर तरफ छाई खुशहाली मन कर रहा झूमने का

मन को मिला सुखूँ ; आज यह देखकर ; यारा है

कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद ये जहाँ...... कीर्तिप्रद
ये जहाँ

लगता   दूर   से ,  ये   जहाँ  ; कितना   प्यारा  है

कितना  खूबसूरत  कितना खुशनुमा ये नजारा है

हर तरफ छाई खुशहाली मन कर रहा झूमने का

मन को मिला सुखूँ ; आज यह देखकर ; यारा है

कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद ये जहाँ...... कीर्तिप्रद

ये जहाँ...... कीर्तिप्रद