मूक-निस्तेज-सा अस्तित्व मेरा टूटता, बहता, मिटता रहा है... मेरा 'मैं' पुन: निस्तेज और और कमजोर 'तेरा' होने में और तेरा होना ! ( स्वयं में ) तेरा, बढ़ता स्वरूप - फैलाव तेरा अधिक, और अधिक संभवतः सागर अंततः .... #प्रति-प्रकृति @manas_pratyay #LookingDeep #प्रति_प्रकृति © Ratan Kumar