संपादक जी का फोन आया। हड़बड़ाकर मैंने उठाया। छूटते पूछे 'किधर हो?' 'छोड़ा आपने जिधर है'। बोले 'परचा भर दो'। मैंने कहा 'मुख्यमंत्री की कुर्सी किधर है?' राजीव उपाध्याय ©Rajeev Upadhyay संपादक जी का फोन आया। हड़बड़ाकर मैंने उठाया। छूटते पूछे 'किधर हो?' 'छोड़ा आपने जिधर है'। बोले 'परचा भर दो'। मैंने कहा 'मुख्यमंत्री की कुर्सी किधर है?'