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जंगल जंगल काटकर घर बसाना,ये इंसान का क्या फितूर ह

जंगल

जंगल काटकर घर बसाना,ये इंसान का क्या फितूर है,
किसी का घर उजाड़ कर क्यों चाहता है ये घर पाना...
मिट्टी का हम सब हिस्सा है,इस मिट्टी में ही मिल जाना है..
पर सोच भला अगर यही न रही तो 
जिंदगी तो गुजरी ही सुकून पाने की जद्दोजहद में,
मुश्किल हो जायेगा तेरे शरीर का भी सुकून से खत्म हो जाना...
काट रहा है छांट रहा है, खुद का जीवन तो गुजार लेगा 
पर अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए क्या कुछ नहीं तू रहने देगा...
क्या कहेगा अपने रब से जब उसे मिलने तू जायेगा 
ये दुनिया जो उसने दी थी इतने जीव को जन्म दिया था 
उसमे कितने तूने ज़िद में मिटाए हैं,
कहा गई वो गौरैया जो तेरे घर के छत पर आती थी
जब ये सवाल वो पूछेगा,
तो जवाब क्या तू दे पाएगा...
कहां गए वो सबसे तेज दौड़ने वाला चीता 
जिसकी जिंदगी की दौर तूने जंगल काटकर घटाई है...
आगे बढ़ने से कौन रोकता है, तू ही बता तुझे कौन टोकता है, 
और अगर रोकता है तो क्या तू रुक जाता है,
बस काटता जाता है क्या तू लगाना भी जानता है..
मिट्टी में मिलना है, और उस मिट्टी को दूषित करने से तू कहां बाज आता है...
जंगल काटकर घर बसाने से बरसात की बूंद का मौहताज होता जा रहा है,
मिट्टी कम रही है, वर्षा का पानी घरों में घुसकर तबाही मचा रहा है,
धरती में छेदकर तू पानी ढूंढना चाहता है, फिर भी प्यास मिटा न पता है,
गुनेहगार तू खुद है, जो अपने जीवन को खुद काटकर खुशी से जीना चाहता है... जंगल...
It's world forest day...
And talking about our forest the mother Earth only today is not enough but we have to talk about it and do something about it by raising our voices for the forest for the life which is for everyone not only for me or you it's for us....
#worldforestday #yqdidi #yqbaba #yqhindi #yqhindiwriters #mywritingmywords #mywritingmythoughts #जंगल
जंगल

जंगल काटकर घर बसाना,ये इंसान का क्या फितूर है,
किसी का घर उजाड़ कर क्यों चाहता है ये घर पाना...
मिट्टी का हम सब हिस्सा है,इस मिट्टी में ही मिल जाना है..
पर सोच भला अगर यही न रही तो 
जिंदगी तो गुजरी ही सुकून पाने की जद्दोजहद में,
मुश्किल हो जायेगा तेरे शरीर का भी सुकून से खत्म हो जाना...
काट रहा है छांट रहा है, खुद का जीवन तो गुजार लेगा 
पर अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए क्या कुछ नहीं तू रहने देगा...
क्या कहेगा अपने रब से जब उसे मिलने तू जायेगा 
ये दुनिया जो उसने दी थी इतने जीव को जन्म दिया था 
उसमे कितने तूने ज़िद में मिटाए हैं,
कहा गई वो गौरैया जो तेरे घर के छत पर आती थी
जब ये सवाल वो पूछेगा,
तो जवाब क्या तू दे पाएगा...
कहां गए वो सबसे तेज दौड़ने वाला चीता 
जिसकी जिंदगी की दौर तूने जंगल काटकर घटाई है...
आगे बढ़ने से कौन रोकता है, तू ही बता तुझे कौन टोकता है, 
और अगर रोकता है तो क्या तू रुक जाता है,
बस काटता जाता है क्या तू लगाना भी जानता है..
मिट्टी में मिलना है, और उस मिट्टी को दूषित करने से तू कहां बाज आता है...
जंगल काटकर घर बसाने से बरसात की बूंद का मौहताज होता जा रहा है,
मिट्टी कम रही है, वर्षा का पानी घरों में घुसकर तबाही मचा रहा है,
धरती में छेदकर तू पानी ढूंढना चाहता है, फिर भी प्यास मिटा न पता है,
गुनेहगार तू खुद है, जो अपने जीवन को खुद काटकर खुशी से जीना चाहता है... जंगल...
It's world forest day...
And talking about our forest the mother Earth only today is not enough but we have to talk about it and do something about it by raising our voices for the forest for the life which is for everyone not only for me or you it's for us....
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seemasharma7192

Seema Sharma

New Creator