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दिल की जमीं पर यूँ अनगिनत सुराख़ हो गये, हम कुछ यू

दिल की जमीं पर यूँ अनगिनत सुराख़ हो गये,
हम कुछ यूँ रोये कि आँसुओं के आँख हो गये,

कई दिनों तक जला पर खाक़ न हो सका,
अपनों नें साथ क्या छोड़ा हम राख हो गये,

तुम्हीं बताओ कहाँ से लाऊं मैं अच्छे सेर,
मेरे जख़्म ही मेरे दिल के ख़ुराक हो गये,

भला कब तक पन्नें बरबाद होते मुझसे,
अब डाय़री के पन्नें भी मेरे खिलाफ हो गये,

आज लिखा नहीं तो रात नींद नही आई,
कैसे-कैसे सपने आज फिर खराब हो गये।।
दिल की जमीं पर यूँ अनगिनत सुराख़ हो गये,
हम कुछ यूँ रोये कि आँसुओं के आँख हो गये,

कई दिनों तक जला पर खाक़ न हो सका,
अपनों नें साथ क्या छोड़ा हम राख हो गये,

तुम्हीं बताओ कहाँ से लाऊं मैं अच्छे सेर,
मेरे जख़्म ही मेरे दिल के ख़ुराक हो गये,

भला कब तक पन्नें बरबाद होते मुझसे,
अब डाय़री के पन्नें भी मेरे खिलाफ हो गये,

आज लिखा नहीं तो रात नींद नही आई,
कैसे-कैसे सपने आज फिर खराब हो गये।।