ये स्नेह नही तो और क्या है कि मैं कहीं जा नही पाता पुनः पुनः वहीं प्रतिवर्तन वहीं प्रत्यावर्तन और वही प्रतीक्षा वही अपना अपना हठ वही प्रवंचन की शंकाएं वही निषेध और वही दुर्गम पथ की कटु कल्पनाएं चलो हम एक समझौता करके की जब भी हम निकलेंगे कभी एक दूसरे के साथ घूमने तो ज्यादा दूर तक नही जाएंगे हम घर जल्दी लौट आएंगे हम कभी राह से भटकेंगे नही हम कभी देर नही करेंगे चलो हम समझौता करले की सूरज डूबने के बाद दीपक जलाने के पहले ही लौट आएंगे कटु कल्पना #nojotohindi#nojotolove#nojotodosti#nojoto#kalaksha#kavishala