तय की तहखाने में अदर्श दौलत मिलती है ! भय के भटकाने से दुर्दर्श दहशत दिखती है ! जय का जुगाड़ जर्जरता की जोह जानेजाँ कि..... मैं के मयखाने में मर्ज़ मुसीबत मिलती है !!:) ©RAVINANDAN Tiwari #चूँ_चूँ_का_मुरब्बा