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वो तब बड़ी हो गयी... जब कुर्ती उसके सीने से थोड़ी

वो तब बड़ी हो गयी...
जब कुर्ती उसके सीने से थोड़ी तंग हो गयी
बचपन से बैर और जवानी से जैसे जंग हो गयी
अपने ही घर में नजरबंद हो गयी
जबरन रिश्तों में बंधने को रजामंद हो गयी
हर रंग ‌‌में ‌‌घुलनें वाला रंग हो गयी
गंद भरी नजरों के लिए गंद हो गयी
वो बड़ी हुई ही नहीं,बस
अल्हड़ सी उम्र में अक्लमंद हो गयी। # True of every girl's life
वो तब बड़ी हो गयी...
जब कुर्ती उसके सीने से थोड़ी तंग हो गयी
बचपन से बैर और जवानी से जैसे जंग हो गयी
अपने ही घर में नजरबंद हो गयी
जबरन रिश्तों में बंधने को रजामंद हो गयी
हर रंग ‌‌में ‌‌घुलनें वाला रंग हो गयी
गंद भरी नजरों के लिए गंद हो गयी
वो बड़ी हुई ही नहीं,बस
अल्हड़ सी उम्र में अक्लमंद हो गयी। # True of every girl's life