ज़िंदगी के इम्तहानों में बीती जवानी मेरी कभी फिसला और गिरा कभी हंसा कभी रोया कोई साथी या अकेला कभी सुनसान कभी मेला तुझे क्या समझूँ ए ज़िंदगी तेरे पूछे हर सवाल के सवाल सौ ज़वाब सौ हर जवाब से सवाल सौ हर सवाल के बवाल सौ ज़िंदगी तू समझी न समझी पर रही सवालों में ही उलझी एक और ख़ूबसूरत #collab Rest Zone की ओर से। #सवालोंमेंउलझी #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi