नीर बहते रहे इन आंखों से पर हर बार हम छुपाते रहे खाब देखे कई बार हम अपने खाब्बो को भी मिटाते रहे । हम सिर्फ़ इधर से उधर भटकते रहे हम। सिर्फ़ भटकते रहे। ©Atul choudhary #Mood #manzil #write