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हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं

हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी स्‍थापना की कथा बेहद रोचक है आइये जानिए !! 📯📯{Bolo Ji Radhey Radhey}

कल्‍याण जी मंदिर :- 📀 भारत में कई ऐसे मंदिर हैं, जिनकी उत्‍पत्ति और बनावट की शैली रहस्‍यों का खजाना है। हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी स्‍थापना की कथा बेहद रोचक है। तो अगर आप भी किसी धार्मिक यात्रा का ट्रिप प्‍लान कर रहे हैं तो एक राजस्‍थान स्थित कल्‍याण जी मंदिर जरूर जाएं।

📀 भारत में मंदिरों और उनके रहस्‍यों की गुत्‍थी अनसुलझी है, ये कहना गलत नहीं होगा। यहां कई ऐसी जगहें हैं, जिनकी स्‍थापना कब और कैसे हुई? इस सवाल का कोई जवाब नहीं है। फिर चाहे टिटलागढ़ का शिव मंदिर हो जहां पर तपते पहाड़ों पर भी एसी जैसी ठंडक होती है या फिर कानपुर में स्‍थापित ताले वाला मंदिर। 

📀 इनके रहस्‍यों से आज तक पर्दा नहीं उठ सका है। राजस्‍थान के टोंक जिले में स्‍थापित 'कल्‍याण जी' के बारे में कथा मिलती है कि इसका पुर्ननिर्माण साल 1527 में हुआ था। हालांकि निर्माण कब हुआ? इस बारे में अभी त‍क कोई साक्ष्‍य नहीं मिल पाया है।

📀 इसी कड़ी में एक और मंदिर आता है वह है राजस्‍थान का 'कल्‍याण जी' मंदिर। तो अगर आप भी किसी धार्मिक यात्रा का प्‍लान कर रहे हैं तो इस अद्भुत मंदिर के दर्शनों के लिए जा सकते हैं।

📀 जानकार बताते हैं कि इंद्र के दरबार में अप्‍सराओं का नृत्‍य चल रहा था। तभी उनमें से एक अप्‍सरा उर्वशी हंसने लगीं। इंद्र को क्रोध आया और उन्‍होंने उर्वशी को 12 वर्षों तक पृथ्‍वी पर रहने का श्राप दे दिया। वह काफी परेशान हुईं। लेकिन पृथ्‍वी पर सप्‍त ऋषियों के आश्रम में रहकर सभी की सेवा करने लगीं। उनकी सेवा से प्रसन्‍न होकर ऋषियों ने उन्‍हें मुक्ति का मार्ग बताया।

कल्‍याण जी मंदिर :- 📀 इसके बाद अप्‍सारा राजा डिग्‍व के नगर पहुंचीं। वहां रात में घोड़ी का रूप धारण करके वह बाग के वृक्षों को खाकर अपनी भूख मिटाती थी। एक दिन राजा ने सोचा कि बाग खत्‍म होता जा रहा है। इसे नष्‍ट करने वाले का जल्‍दी ही पता लगाना होगा। 

📀 राजा ने बाग की निगरानी की और उर्वशी को पकड़ लिया। उर्वशी के असली रूप को देखकर वह उसपर मोहित हो गए। लेकिन उर्वशी ने कहा कि उन्‍हें देवराज इंद्र से युद्ध करना होगा। अगर वह पराजित हो गए तो उर्वशी उन्‍हीं के साथ रहेगी। वरना उन्‍हें श्राप दे देगी।

📀 बताते हैं कि राजा इंद्र से युद्ध में परास्‍त हो गए और उर्वशी ने उन्‍हें कुष्‍ठ रोग होने का श्राप दे दिया। इसके बाद राजा भगवान विष्‍णु की शरण में पहुंचे। उन्‍होंने बताया कि राजा को कुछ समय के बाद समुद्र में उनकी मूर्ति मिलेगी, जिससे उनका उद्धार हो जाएगा। हुआ भी ऐसा ही। 

📀 इसके बाद राजा ने उस मूर्ति की स्‍थापना कर दी। क्‍योंकि उसी मूर्ति से राजा का कल्‍याण हुआ था इसलिए उस मंदिर का नाम 'कल्‍याण जी' हो गया। यहां वैशाख पूर्णिमा, श्रावण एकादशी, अमावस्‍या और जल झूलनी एकादशी पर मेले का आयोजन होता है। यहां भारत के कोने-कोने से श्रद्धालु पहुंचते हैं और मन्‍नतों की अर्जी लगाते हैं।

©N S Yadav GoldMine
  #Sitaare हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी स्‍थापना की कथा बेहद रोचक है आइये जानिए !! 📯📯{Bolo Ji Radhey Radhey}

कल्‍याण जी मंदिर :- 📀 भारत में कई ऐसे मंदिर हैं, जिनकी उत्‍पत्ति और बनावट की शैली रहस्‍यों का खजाना है। हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी स्‍थापना की कथा बेहद रोचक है। तो अगर आप भी किसी धार्मिक यात्रा का ट्रिप प्‍लान कर रहे हैं तो एक राजस्‍थान स्थित कल्‍याण जी मंदिर जरूर जाएं।

📀 भारत में मंदिरों और उनके रहस्‍यों की गुत्‍थी अनसुलझी है, ये कहना गलत नहीं होगा। यहां कई ऐसी जगहें हैं, जिनकी स्‍थापना कब और कैसे हुई? इस सवाल का कोई जवाब नहीं है। फिर चाहे टिटलागढ़ का शिव मंदिर हो जहां पर तपते पहाड़ों पर भी एसी जैसी ठंडक होती है या फिर कानपुर में स्‍थापित ताले वाला मंदिर। 

📀 इनके रहस्‍यों से आज तक पर्दा नहीं उठ सका है। राजस्‍थान के टोंक जिले में स्‍थापित 'कल्‍याण जी' के बारे में कथा मिलती है कि इसका पुर्ननिर्माण साल 1527 में हुआ था। हालांकि निर्माण कब हुआ? इस बारे में अभी त‍क कोई साक्ष्‍य नहीं मिल पाया है।

#Sitaare हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी स्‍थापना की कथा बेहद रोचक है आइये जानिए !! 📯📯{Bolo Ji Radhey Radhey} कल्‍याण जी मंदिर :- 📀 भारत में कई ऐसे मंदिर हैं, जिनकी उत्‍पत्ति और बनावट की शैली रहस्‍यों का खजाना है। हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी स्‍थापना की कथा बेहद रोचक है। तो अगर आप भी किसी धार्मिक यात्रा का ट्रिप प्‍लान कर रहे हैं तो एक राजस्‍थान स्थित कल्‍याण जी मंदिर जरूर जाएं। 📀 भारत में मंदिरों और उनके रहस्‍यों की गुत्‍थी अनसुलझी है, ये कहना गलत नहीं होगा। यहां कई ऐसी जगहें हैं, जिनकी स्‍थापना कब और कैसे हुई? इस सवाल का कोई जवाब नहीं है। फिर चाहे टिटलागढ़ का शिव मंदिर हो जहां पर तपते पहाड़ों पर भी एसी जैसी ठंडक होती है या फिर कानपुर में स्‍थापित ताले वाला मंदिर। 📀 इनके रहस्‍यों से आज तक पर्दा नहीं उठ सका है। राजस्‍थान के टोंक जिले में स्‍थापित 'कल्‍याण जी' के बारे में कथा मिलती है कि इसका पुर्ननिर्माण साल 1527 में हुआ था। हालांकि निर्माण कब हुआ? इस बारे में अभी त‍क कोई साक्ष्‍य नहीं मिल पाया है। #पौराणिककथा

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