ख़्वाब मेरी आँखों का मुक़म्मल हो जाए, सज़दा मेरा उसके आगे क़बूल हो जाए, संग तेरे गुज़रे लम्हें मैं भूलू ना उम्र भर, यूँ मेरी रूह तेरी रूह से रूबरू हो जाय, जब देखे मेरी नज़रे तेरी नज़रों में गौर से, धड़कने तेरी औऱ मेरी तब एक हो जाए, साँसों को तेरी साँसों की महक मिल जाए, यूँ शाम मुझ में ढले औऱ सब फ़ना हो जाए, सुकूँ-ए-सिलसिला यूँ चलते रहे उम्र भर, के तारों भरी छाँव औऱ मुझें तू मिल जाए, — Kumar✍️ ©Kumar #Mid_Night_Poetry #Kumarsonu #NojotoWriter😍😍😎😎 indira #अंकितसारस्वत #कवि #राहुल #पाल