मैं रोया नहीं जब तू चली गई, मेरे आंसू टूटी माला के मोती बन निकले हैं। भूल चुका हूं रास्ता मैं घर का, इरादे अब मेरे बंजारे बन के निकलें हैं। तुझसे लिपट कर खुद को बयां करूं, लगता है ख्वाब मेरे हकीकत बन के निकलें हैं। क्यों किसी गैर से पूछती हो मेरे बारे में, मेरे शब्द ही मेरा हाल बन के निकलें हैं। दर्द छुपा कर मुस्कुराहट रखती हो, सुना है इस चेहरे के कई नकाब बन के निकलें हैं। खफा हो गई तुम हमसे इस कदर, के हम तेरी मुट्ठी से रेत बन के निकले हैं। ©Ashin Kalet mere khawab reat ke thare ban ka nickle he👈 #blackandwhite