रीति रिवाज और संस्कारों का संगम है सात फेरों का बंधन सजन पवित्र बंधन है। मन वचन कर्म से समर्पित तुम्हें मेरा जीवन है प्रीत की फुलवारी खिली महक रहा आँगन है। एक दूजे को पूरक हम दो तन एक हमारा मन है मेरी पहचान ये सिंदूर ये बिंदिया और ये कंगन है। माना जीवन सुख दुख से भरा एक वन है अब डर कैसा जब साथ मेरे मेरा साजन है। ♥️ Challenge-766 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।